बेतिया ( प० चम्पारण )
जिले में संचालित हो रहे अल्ट्रासाउंड सेंटर एवं नर्सिंग होम की जांच करने का निर्देश,सिविल सर्जन,डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी ने दिया है,जो एक ऐतिहासिक फैसला है,सिविल सर्जन ने अनुमंडलअस्पताल बगहा के उपाधीक्षक,जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को निर्देश दिया है कि प्रखंड अंतर्गत संचालित सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर और नर्सिंग होम का अभिलेख एवं कार्य चिकित्सक तथा टेक्नीशियन का प्रमाण पत्र,अल्ट्रासाउंड सेंटर, नर्सिंग होम की वैधता प्रमाण पत्र की जांच 3 सदस्य कमेटी गठन कर कराई जाए,सिविल सर्जन ने संवाददाताओं को आगे बताया कि जांच प्रतिवेदन1सप्ताह के अंदर जिला कार्यालय में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे,अन्यथा लापरवाही की स्थिति में आप स्वय जिम्मेदार होंगे।इस तरह का आदेश निकलने के बाद जिले में अवैध रूप से संचालित एवन बिना वैध रूप से निबंधित चल रहे नर्सिंग होम एवं अल्ट्रासाउंड सेंटरों के व्यवस्थापकओं की नींद उड़ गई है ,पूर्व में भी इस तरह की जांच का आदेश,पूर्व के सिविल सर्जन के द्वारा दिया गया था, मगर उसका कोई नतीजा सामने नहींआ सका,इसका मुख्य कारण यह हुआ है कि जांच पदाधिकारियों को इन संचालकों के द्वारा सुविधा शुल्क के रूप में मोटी रकम मिल जाने के कारण यह सभी जांच आदेश रद्दी की टोकरी में चले गए,अब जिले के इस नए सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी के द्वारा इस तरह का आदेश निकाल कर,जिले में अवैध रूप से,बिना निबंधन के चल रहे नर्सिंग होम व अल्ट्रा साऊंड सेंटर चलाने वालों के बीच बहुत तेज़ी से खलबली मचा दी है ,अब देखना यह होगा कि इनके आदेश का भी कितना प्रभाव पड़ता है,और जांच रिपोर्ट में कितनी सच्चाई सामने आती है,और जांच रिपोर्ट आने के बाद कितनी सक्षम कार्रवाई हो पाएगी,यह आने वाला समय ही बता पाएगा। इस जिले में विगत कई वर्षों से हजारों की संख्या में अवैध एवन बिना निबंधित नर्सिंग होम एवं अल्ट्रासाउंड का संचालन जिले के स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों की देखरेख में चल रहा है,मगर इस परअंकुश लगाने वाला कोई विभागीय पदाधिकारी नहीं है, इसका मुख्य कारण यह है कि इन सभी विभागीय पदाधिकारियों को मासिक कमीशन के रूप ने मोटी रकम बंधा हुआ है,जो प्रतिमाह इनको मिल जाता है,जिसके वजह से इन विभागीय पदाधिकारी के द्वारा कभी भी कोई जांच पड़ताल नहीं की जाती है,और अवैध रूप से बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड चलाने वाले व्यवस्थापक सीना तान कर,खुल्लमखुल्ला बोलते हैं कि विभागीय पदाधिकारियों की जेब को प्रति माह उनका मोटा कमीशन चांदी के सिक्के से भर दी जाती है,तो फिर वह विभागीय पदाधिकारी हमारी विरोध में कैसे काम करेंगे,और हमारा अवैध रूप से संचालित,बिना वैध रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटर को कैसे जांच कर सकते हैं,यही इस जिले के स्वास्थ्य विभाग का करतूत है,जिस पर पैनी नजर नए सिविल सर्जन ,डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी को रखना पड़ेगा,साथ ही प्रति माह इस तरह के जांच कार्यक्रम को क्रमवत चलाना पड़ेगा, तभी जाकर सुधार संभव होगा,अन्यथा सारे कानून पड़े रह जायेंगे।