दो हफ्ते से ज्यादा समय से बलगम वाली खांसी, बुखार हो तो जाँच जरूर कराएं
बेतिया। हेल्थ एन्ड वेलनेस सेंटर बरवल, बगहा 02 में सोमवार को टीबी केयर एवं सपोर्ट ग्रुप की बैठक स्वास्थ्य विभाग एवं केएचपीटी के सौजन्य से आयोजित की गईं। इस बैठक में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) कुलदीप कुमार ने टीबी के लक्षणों की पहचान, उससे बचाव के उपाय एवं इलाज के बारे में विस्तृत चर्चा की। मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार सिंह व केएचपीटी के सामुदायिक समन्वयक नीलम पाण्डेय, जीतेश कुमार ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा समय से बलगम वाली खांसी हो, बुखार हो, वजन कम हो तो सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में टीबी की जाँच करानी चाहिए। ताकि इसके फैलाव पर रोक लग सके। उन्होंने बताया कि प्रखंड के सभी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज निःशुल्क की जाती है। साथ ही मरीजों के संतुलित आहार के लिए सरकार निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपये की राशि मरीज के खाते में भेजती है। वहीं सीएचओ कुलदीप कुमार ने बताया कि टीबी के मरीज टॉल फ्री नंबर 1800-11-6666 पर कॉल करके दवा सेवन के दौरान होने वाली किसी भी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि दवाओं के साथ संतुलित आहार जैसे हरी पतेदार सब्जियां, ब्रोकली, गाजर, टमाटर, शकरकंद आदि का सेवन करना चाहिए। इससे टीबी को जल्द काबू किया जा सकता है।
प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होने पर होती है बीमारियां: सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दूबे ने बताया कि शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र जैसे ही कमजोर होता है, तो अनेक बीमारियां हावी होने लगती हैं। ऐसी ही उनमें से एक है टीबी की बीमारी। जिसे तपेदिक या क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। टीबी ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ‘ नामक जीवाणु से होता है। टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है। हालांकि, टीबी का वायरस आंत, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय को भी प्रभावित कर सकता है।
इनसे बचाव के लिए मास्क लगाना, बार-बार हाथ धोना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, खांसते-छींकते समय रुमाल रखना या फिर कोशिश करें कि अकेले में खांसे-छींके और भीड़ से दूरी बनाए रखें। ज्यादा लोगों से न मिलें। अगर मिलना जरूरी हो तो खुले में मिलें। ऐसे वातावरण से कम टीबी फैलेगी।