यह ग्रर्भाशय की श्लैष्मिक कला में शोथ उत्पन्न हो जाने के फलस्वरूप हो होता है
यह स्वयं में कोई रोग नही है, आमतौर पर यह रोग गर्भाशय ,डिम्ब ग्रंन्थियों ,गर्भाशय मुख,गर्भाशय का अपने स्थान से खिसकना,योनि मार्ग का शोथ,भीतरी जननेंद्रियों में फोड़ा -फुंसी या रसौली होना,मूत्राशय शोथ,सुजाक,रक्ताल्पता,यकृत सम्बन्धी रोग,वृक्कों के विकार,मधुमेह,अजीर्ण ,कब्ज आदि के लक्षणों के अनुरूप हुआ करता है ।
जब हर वक्त स्त्री की योनि से लसीला पतला सा स्त्राव आया करता है तो बदबू आने लगती है । यह लाल पीला नीला श्वेत किसी भी रंग का हो सकता है ।
सबसे पहले मूल कारणों को दूर करें
सामान्य स्वास्थ को उन्नत कीजिएं
शीघ्रपाची लघु पोष्टिक भोजन कीजिये
मानसिक आवेगों तथा कामवासना,क्रोध,चिन्ता,दु:ख आदि का पूर्ण त्याग करें।
जठराग्नि को दीपन,पाचन योगों से प्रदीप्त करें ।
कब्ज न रहने दे
घरेलू चिकित्सा
योग 1:-
अशोक के पेड़ के पत्ते, अशोक फैला हुआ हो, लंबा वाला नही, इसके 5-7 पत्तों का काढ़ा बनाकर लगातार 2 माह पिये
योग 2:-
शतावरी किसी पंसारी की दुकान से ले आये, इसका 1 चमच्च चूर्ण ताजा छाछ में मिलाकर 1 माह लगातार पिये, 1 माह तक घी का सेवन न करे।
योग 3:-
इमली बीज का चूर्ण में दोगुना जीरा पाउडर ( 100 ग्राम इमली बीज चूर्ण और 200 ग्राम जीरा पाउडर ) मिला कर रखे । इस चूर्ण में से एक-एक चम्मच तीन बार, चावल के मांड के साथ सेवन करें ,हमेशा के लिए समस्या से छुटकारा ।
योग 4:-
नागकेसर का काढ़ा बनाकर पीने से भी यह समस्या ठीक होती है।
योग 5:-
फॉलूदा दाना का काढ़ा प्रयोग करने से भी यह समस्या ठीक होती है।
शतावर या अशोक के पेड़ के पत्ते अकेले ही महिलाओ के मासिक धर्म से जुड़ी समस्या जैसे, रक्तस्राव अधिक आना, कम आना, स्वेत प्रदर, पीरयड जल्दी या देर से आना, सब अकेले ही ठीक कर देता है।
डॉ. प्रकाश कुमार
एम.डी (पैट.) पीएच.डी (स्कॉलर)
गोल्ड मेडलिस्टवन वाटिका आयुर्वेद नेचुरोपैथी अनुसंधान केंद्र (कोतवाली चौक बेतिया)
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