बेतिया/गौनाहा। विश्व विरासत दिवस जिससे स्मारकों और स्थलों के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में भी जाना जाता है।सांस्कृतिक विरासत के मूल्य और इसकी सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए स्मारक और स्थल पर लोगों को जाने के लिए जागरूक करना अति आवश्यक है।क्योंकि लोग इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी लेने के साथ-साथ अपने धरोहर को किस प्रकार बचाया जाए?यह अति आवश्यक है। विरासत के रीति-रिवाजों परंपराओं या संस्कृति मूल्यों को एक साथ समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता जो किसी राज्य और देश के लिए महत्वपूर्ण है।जो हमारे पूर्वजों के विकास और इतिहास के बारे में बताती है।जिसका जीता जागता साबुत धरोहर के रूप में बिहार के चंपारण जिला में बहुमूल्य धरोहर को झलकाना अति आवश्यक है।जैसे कि गांधी जी की कर्मभूमि भितिहारवा गांधी स्मारक संग्रहालय, महाभारत कालीन प्राचीन सोफा मंदिर,रामपुरवा अशोक स्तंभ, लौरिया नंदनगढ़, केसरिया बुद्ध स्तूप, नर्मदेश्वर शिव मंदिर रामनगर,बेतिया राज संग्रहालय, अरेराज सोमेश्वर नाथ मंदिर, बेतिया धर्मशाला और अवशेष के बचे हुए रूप में चंपारण में अंग्रेज की कोठिया, पर्यटन के रूप में बाल्मीकि नगर आदि के इतिहास से जुड़े और शेष जिसका संरक्षण करने के साथ-साथ धरोहर को बचाए रखने का कार्य इतिहास को अपने गर्भ में संजोए रखा है। विश्व विरासत दिवस उत्पत्ति का महत्व- यूनेस्को ने 1983 में विश्व विरासत दिवस को अपनाया है, जिससे प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है।इसका प्रमुख उद्देश्य की प्राकृतिक स्वदेशी और ऐतिहासिक विरासत सहित सभी प्रकार के विरासत को बढ़ावा देना है।जो सभी मानव समाज की भलाई में महत्वपूर्ण निभाते हैं।जैसे की संस्कृति विरासत स्थल युद्ध,भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से सबसे बड़े खतरे का सामना करना पड़ता है।जो मानव आबादी के विनाश के साथ विश्व धरोहर स्थलों का सबसे बड़ा कारण है युवा पीढ़ी में सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति अविश्वास भी पाराम्परिक परंपराओं के अस्तित्व को सूचित करने में एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा हो रहा है। वर्तमान में एक 1154 विश्व धरोहर स्थल है जो 897 संस्कृतिक 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्मारकों में विभाजित है।विश्व धरोहर के साथ इटली शीर्ष पर है उसके बाद चीन रहा है।यूनेस्को ने 32 सांस्कृतिक स्थलों,सात प्राकृतिक और एक मिश्रित स्थल के साथ भारत में प्राचीन विश्व धरोहर को नामित किया है। 1964 में स्थापत्यकारो और ऐतिहासिक इमारतों को विशेषज्ञों की दूसरी अधिवेशन के दौरान जहां यूनेस्को ने आईसीओमोस के निर्माण रखा गया था। स्मारक स्थलों के संरक्षण और देखभाल के लिए पहले अंतरराष्ट्रीय चार्टर सहित 13 प्रस्तावो को स्वीकार किया गया था।सन्न 1982 में स्मारक स्थलो पर अंतरराष्ट्रीय परिषद आईसीओमोस ने प्रस्तावित किया गया था।जिसके उपरांत 18 अप्रैल अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर के रूप में मनाया जाता है। यूनेस्को द्वारा 1983 में स्वीकार किया गया था 2020 में आइसोमोस ने सांस्कृतिक विरासत जलवायु आपातकाल की घोषणा की। जिससे संस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए जलवायु कार्य योजनाओं पर प्रकाश डाला गया है। इस वर्ष 2022 में विश्व विरासत के दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसका थीम विरासत और जलवायु रखा गया है।यह विरासत की रक्षा के लिए होने वाले खतरों को सचेत करना व विरासत को बढ़ावा देना है।आइए हम मिलकर अपने विरासत को युगों युगों तक सहेज कर रखने का प्रयास करें और अपने धरोहर को बचाए।