मधुबनी पूर्व प्राचार्य ने मनाया रविदास जयंती।

बेतिया/बगहा/मधुबनी। मधुबनी प्रखण्ड अन्तर्ग राजकीयकृत हरदेव प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज मधुबनी के पूर्व प्राचार्य पंडित भरत उपाध्याय ने गुरु संत श्री रविदास की जयंती पर अपने विचार उद्धृत करते हुए कहा कि अपनी रचनाओं के माध्यम से रविदास जी , समाज में व्याप्त,बुराइयों को दूर करने में महत्वपूर्ण, योगदान देने वाले एक महान योगी एवं परम ज्ञानी संत थे।उनके समाज उपयोगी विचार प्रस्तुत करते हुए पूर्व प्राचार्य ने कहा कि हम बुरे कर्म छुपाने के लिए दुनिया के अच्छे वकील कर के तो बच जाते हैं ,किंतु उस ईश्वर की नजर से कभी भी नही बच सकते। वहां न तो किसी वकील की बहस चलती है और ना ही सिफारिश। इस लिए गलत कर्म करने के पहले हमें सोचना चाहिए।कर्म तो हम सभी करते हैं, अच्छे कर्म करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा और अगर अच्छे कर्म नहीं करेंगे तो बुरा फल ही मिलेगा। यह जो कर्म हम करते हैं अच्छे या बुरे ये हमें कभी छोड़ते नहीं हैं, हमें इनका फल आज नहीं तो कल ज़रूर मिलना होता है। लेकिन कई बार जब हमें बहुत दुख मिल रहे होते हैं तब हम बोलते हैं कि हमने तो कोई बुरा कर्म नहीं किया, हमने तो किसी का कभी बुरा किया ही नहीं, फिर हमें क्यों इतने दुख मिल रहे हैं,लेकिन सोचे हमने कर्म किए जरुर होते हैं, अगर इस जन्म में नहीं किए तो पुराने जन्म में किए होंगे और पुराने जन्म का तो हमें याद नहीं होता ना। क्योंकि हम इंसानों से तो चालाकियां कर सकते हैं लेकिन उस ईश्वर से नहीं।हम जो भी कर्म करते हैं चाहे वो सही हो या गलत, हमे एक न एक दिन भोगना ही पड़ता है। जिंदगी यदि हंसाये तो समझ लीजिए कि अच्छे कर्मों का फल मिल रहा है और जिंदगी यदि रुलाए तो समझ लीजिए यह भी आपके कोई बुरे कर्मों का फल मिल रहा है।प्राचार्य ने कहा कि संत रविदास जी का सरल व्यक्तित्व और उनकी रचनाएं, समाज को नई दिशा नई ऊर्जा और आध्यात्मिक प्रेरणा देती रहेंगी,जिससे लोक कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा।

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