बेतिया से शहाबुद्दीन अहमद की रिपोर्ट
महान स्वतंत्रता सेनानी, दादाभाई नरोजी के जन्म दिवस के अवसर पर,वक्ताओं ने महान स्वतंत्रता सेनानी सह ब्रिटिश संसद के पहले भारतीय सांसद दादा भाई नौरोजी को श्रद्धांजलिअर्पित करते हुए कहा कि 4 सितंबर 1825 को उनका जन्म हुआ था, दादाभाई नौरोजी एक भारतीय सामाजिक राजनीतिक नेता एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक थे,एक प्रमुख राष्ट्रवादी लेखक और प्रवक्ता भी थे ,वह ब्रिटिश संसद में सदस्यता के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय थे। 1825 में मुंबई में एक गुजराती भाषी पारसी परिवार में जन्मे नौरोजी की शिक्षा एलफिंस्टन इंस्टिट्यूट स्कूल में हुई थी और इसके बाद उन्होंने भारतीय मुद्दों के लिए एक बुद्धिजीवी और प्रचारक के रूप में अपना जीवन आरंभ किया,ऐसे समय में जब ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश भारत पर शासन कर रही थी,दादा भाई नौरोजी भारत के समकालीन स्वतंत्रता संग्राम की नींव रख रहे थे,1852 में भारत के पहले राजनीतिक संघ,बॉम्बे एसोसिएशन की स्थापना की । 1855 में उन्हें एलफिंस्टन में गणित और प्राकृतिक दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि उनके त्याग एवं बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता ,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने उनके विचारो एवं मूल्यों के अनुरूप राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाया था,उन्होंने एक अभिभावक के रूप में भारत की स्वाधीनता एवं नागरिक अधिकारों के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया ,उनके जीवन दर्शन को नई पीढ़ी को अपनाने की आवश्यकता है ताकि भारत समेत पूरे विश्व में वास्तव में खुशहाली आ सके, जिसका सपना बरसों पहले हमारे पुरखों ने देखा था।