आरक्षण के नाम पर जीद्दो जहद वाले आरजेडी, कांग्रेस तथा सपा के लोगों को ही रिजर्वेशन का परिवार तक सीमित: तुषार सिंह

बगहा विधान सभा के भाजपा के जुझारू युवा नेता ने सोमवार को आरक्षण के मुद्दा उठाने वाले नेताओं के बहस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि एक झटके में हिंदुस्तान की गरीबी मिटाने वाला कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने भी जाति आधारित जनगणना में अपना दिलचस्पी दिखाते नजर आ रहे हैं। तेजस्वी यादव अखिलेश यादव वाम दल ममता बनर्जी आदि दर्जनों दलों के लोगों ने जाति आधारित जनगणना पर आरक्षण की मांग करने वाले लोगों के खुद के रिजर्वेशन का लाभ मिला हुआ है। सही मायने में आरक्षण सभी जाति के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए ना कि किसी विशेष जाति आधारित समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए। अब बिहार में इन जैसे पार्टी के लोगों के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है ।जिस पर चर्चा किया जाय। एक समय ऐसा था कि ये सभी पार्टियां इमरजेंसी के समय के बाद सभी ने कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध अपना मोर्चा खोला था। लेकिन कुर्सी मिलने के बाद तथा कुर्सी खिसकने के बाद उसी कांग्रेस पार्टी को अपना आदर्श मानते हुए उन्हीं के साथ कुर्सी के लालच में खटाखट फटाफट इंडी गठबंधन में शामिल हो कर देश के लोगों को ठगने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन चुनावी नतीजों के बाद खटाखट फटाफट पार्टी के नेताओं ने अज्ञातवास ले लिया। और ये लोग जाति की जनगणना रिपोर्ट की बात करते हैं। आरक्षण से उन्हीं लोगों के परिवारों को लाभ मिला है। बतौर देखा जाय तो लालू प्रसाद यादव, अखलेश प्रसाद यादव, ममता बनर्जी राहुल गांधी सहित तमाम पार्टी के परिवार के लोग इसी आरक्षण के तहत परिवार वाद में ही विधायक, सांसद तथा मंत्री मुख्यमंत्री तक बन गए। जनता सब जानती है। इस बार 2025 के बिहार विधान सभा में एनडीए गठबंधन की सरकार फिर से बनेगी और ये तीतर बटेर वाले लोग अपनी कुनबे को बचाने में सारा समय खपाते नजर आयेंगे। देखा जाय तो राजद कांग्रेस पार्टी के लोग अति पिछड़ा समुदाय का आलाप करते हुए धोखा देने का काम किया है। कांग्रेस ने अति पिछड़ों के लिए गठित काका कालेलकर और मुंगेरी लाल कमीशन की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया और उसे लागू तक नहीं किया। कांग्रेस ने 1953 में गठित काका कालेलकर की कमिटी को 1955 में आई रिपोर्ट को45 वर्षों तक ठंडे बस्ते में रख दिया गया था। ना हीं पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया। न पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया। वहीं श्वेतमणि उर्फ तुषार सिंह ने कहा कि जनता पार्टी के सरकार ने 1978 में मंडल कमीशन का गठन किया। जिसमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा अटल बिहारी वाजपेई भी शामिल थे। वहीं 1980 में पिछड़ों को नौकरियों में बतौर 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस की सरकार ने 10 वर्षों तक लटका कर रख दिया। अब जबकि भाजपा के नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है। जब उनकी सरकार केंद्र में थी तो किसी ने आरक्षण के मुद्दे को उठा नहीं पाया था। देश में भाजपा एक ऐसी पार्टी थी । जिसने पिछड़ों दलितों के हक के लिए लगातार लड़ाई जारी रखा। वहीं भाजपा की अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने थारू समुदाय को आरक्षण का लाभ तथा उनका हक भी दिया है । जो आज थारू समुदाय के लोग इसे भली भांति परिचित भी हैं।

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