भारत देश के आजादी के बाद भारत पाकिस्तान बटवारे में बिछड़े परिवार मिले।

बेतिया/बगहा। आजादी के बाद हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे से जुडी महत्वपूर्ण दिल को झकझोर देने वाली सच्ची दास्तान 1947 में बटवारे के दौरान कई परिवार एक दूसरे से बिछड़ गए। अपने परिवार से बिछड़ने का गम तो दूसरी तरफ अपनी जान को बचाने का दर्द लेकर वर्षो से अपने परिवार की तलाश करते रहे लेकिन कोई खोज खबर नही मिली निराश होकर अपनी जीवन को बिताने को बेबस बिहार के प0 चम्पारण के बगहा अनुमंडल अंतर्गत प्रखंड बगहा एक के चौतरवा बंगाली कालोनी में रहने वाले श्रीकांत हालदार ने पूरी आपबीती सुना कर मन को झकझोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत में 65 साल बाद पूर्वी पाकिस्तान से भाग कर आए दो भाइयों के परिवारों की मुलाकात हुई। महाराष्ट्र के होसंगाबाद के रहने वाले देवदास हालदार और बगहा पुलिस जिला के चौतरवा के रहने वाले श्रीकांत हलदार 65 वर्ष बाद मिले और मिलकर एक दूसरे को देख रो पड़े। श्रीकांत हलदार ने बताया कि पूर्वी पाकिस्तान के खुलना जिला जो अब बांग्लादेश में है उनका पैतृक घर था। लेकिन हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 1954 में वहां की स्थिति खराब हो गई। जिसके कारण मेरे पिता और उनके चार भाईयों ने अपना घर छोड़ हिंदुस्तान आने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि उस समय हमारी उम्र 7 वर्ष की थी। पाकिस्तान छोड़ने के दरमियान गांव से ट्रेन पकड़ने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था। नाव से नदी पार करने के क्रम में सभी भाई एक दूसरे से बिछड़ गए। किसी तरह से पाकिस्तान से तो बाहर निकल गए। लेकिन हिंदुस्तान में पहुंचने के बाद वेस्ट बंगाल के इस्लामपुर में 5 सालों तक खानाबदोश की जिंदगी गुजारते रहे। इस दौरान सभी भाई अपने बिछड़े हुए भाइयों को ढूंढ भी नही पा रहे थे।

भाई की याद में इंतजार करते करते भगवान को प्यारी हो गई मेरी माँ

श्रीकांत हालदार बताते हैं कि उनकी मां का नाम गुलाबी देवी था। जब वे पाकिस्तान छोड़े थे उस समय माँ का उम्र 35 वर्ष था। उनके भाई काशीनाथ मंडल का उम्र 37 वर्ष था। वे लोग भी हिंदुस्तान के लिए चले थे। लेकिन वह नहीं मिले। उन्होंने बताया कि कोई ऐसा दिन नहीं था जिस दिन मां अपने भाई को याद ना करती हो। आज भी वह दिन मुझे याद है जब मां का तबीयत काफी खराब था उस दिन भी अपने भाई का नाम लेकर कहने लगी पता नहीं कहां होगा काशीनाथ।

ऑल इंडिया बंगाली समुदाय की मीटिंग में मिला भतीजा

बिहार के रहने वाले श्रीकांत हलदार नागपुर में ऑल इंडिया बंगाली समुदाय की बैठक में गए थे। इसी दरमियांन उनके भाई प्रफुल्ल हलदार पुत्र देवदास हलदार से मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद भतीजा चाचा को अपने घर ले गया। वहां पर 2 दिनों तक अपने परिवार के बीच रह कर आए श्रीकांत हलदार जब यह कहानी बताते हैं तो फफक फफक कर रोने लगते हैं। अभी इनकी भाभी जीवित है। लेकिन भाई की मौत हो चुकी है। फिलहाल दोनों परिवारों के बीच में मोबाइल से बातचीत शुरू हो गई है। अब दोनों परिवारों के सभी सदस्यों के मिलने की तैयारी हो रही है।

डिजिटल इंडिया सेवा के माध्यम से संभव हो पाया मिलना।

श्रीकांत हलदार बताते है कि डिजिटल इंडिया सेवा से ही एक दूसरे से मिलना संभव हो पाया क्योकि सरकार द्वारा चलाई जा रही डिजिटल सेवा फेसबुक के माध्यम से ही मेरे पुत्र गौतम हलदार ने हमारी पहली बार परिचय शेयर कीया था। जिसको लेकर मेरा परिवार मिल पाया है इसके लिए उन्होंने डिजिटल सेवा को धन्यवाद दिया तथा और लोगो को इस सेवा से जुड़े रहने को लेकर ध्यान आकृष्ट कराया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *