बंगाल की 9 लड़कियों को ऑर्केस्ट्रा से कराया गया मुक्त, संचालक हुआ गिरफ्तार।

बेतिया। मानव बाल तस्करी पर कार्य कर रही नई दिल्ली की संस्था मिशन मुक्ति फाउंडेशन की सूचना पर बेतिया पुलिस ने छापेमारी कर जिले के श्रीनगर पूजा थाना क्षेत्र से 9 लड़कियों को ऑर्केस्ट्रा से मुक्त कराते हुए मुख्यअभियुक्त संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।संवाददाता को जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक उपेंद्र नाथ वर्मा ने कहा कि मिशन मुक्ति फाउंडेशन के निदेशक वीरेंद्र कुमार सिंह न अपनी टीम के सदस्यों के साथ बेतिया पहुंचे।इस बात की जानकारी दी कि कैनिंग बरईपुर जिला 24 परगना पश्चिम बंगाल मेंअपहरण कांड दर्ज है।इस सिलसिले में अपहृता की बरामदगी एवन उपह्रता की गिरफ्तारी का अनुरोध किया गया।सूचना के आधार पर फाउंडेशन के टीम के साथ जिला मुख्यालय में गठित मानव व्यापार निरोधक इकाई के पुलिस निरीक्षक दिनेश कुमार को आवश्यक निर्देश देकर अपहृता की बरामदगी के लिए भेजा गया। टीम में महिला अवर निरीक्षक सुधा कुमारी एवं श्रीनगर थाना अध्यक्ष निर्भय कुमार सशस्त्र पुलिस बल को भेजा गया। टीम ने कोहड़ा गांव में अपहृता रामबाबू सिंह के मकान पर छापेमारी की। इस दौरान रामबाबू सिंह तो नहीं मिला लेकिन वहां से एक लड़का सुमुद मोनडोल ब्रेडबेरिया पश्चिम बंगाल और तीन लड़कियां मिली। तीनों लड़कियां पश्चिम बंगाल की थी और तीनों ने बताया कि वे रामबाबू सिंह के आर्केस्ट्रा में काम करती हैं।पूछताछ के क्रम में ही जानकारी मिली कि जिस अपहिरता की खोज में टीम आई है वह भी डांस के लिए कोहडा डोंगही टोला में गई हुई है। जहां सेवानिवृत्त चौकीदार की पुत्री की शादी में डांस चल रहा था,वहां पर टीम को पांच लड़कियों डांस करती हुई मिली। सभी को टीम ने अपने कब्जे में कर लिया और पूछताछ आरंभ किया।पूछताछ के क्रम में जानकारी मिली कि यह सभी लड़कियां पश्चिम बंगाल से लाई गई हैं।यहांआर्केस्ट्रा में डांस कराया जाता है,लड़कियों ने बताया कि यहऑर्केस्ट्रा नौतन के मंगलपुर काअखिलेश यादव संचालित करता है।इधर बाल
संरक्षण समिति के अध्यक्ष, आदित्य कुमार ने संवाददाता को बताया कि इन पीड़ित बच्चियों को कोरोना जांच कराते हुए चाइल्डलाइन और मिशन मुक्ति फाउंडेशन के द्वारा प्रस्तुत किया गया।जांच समिति के आदेश पर बच्चों से बातचीत कर अगले आदेश तक अल्पवास गृह में आवासित करा दिया गया है। समिति के सदस्य अजय कुमार और चंदना लाकड़ा ने बताया कि इन बच्चों का सामाजिक जांच कराते हुए इनके माता-पिता के घर त्वरित पुनर्वास के लिए कार्य किया जाएगा।इस तरह के रेस्क्यू अभियान आगे भी जारी रहेगा।

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