बेतिया। बेतिया स्थानीय नगर थाना क्षेत्र के सत्याग्रह भवन में ज्योति राव गोविंदराव राव फुले की पुण्यतिथि पर सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया,जिसमे
डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि आमतौर पर महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम से जाना जाता है, महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी हैं। वह एक मानवतावादी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी थे जिन्होंने लंबे समय तक सामाजिक समस्याओं से लड़ाई लड़ी।उनका जन्म11अप्रैल, 1827 को महाराष्ट्र में हुआ था और उन्हें जातिगत असमानता के खिलाफ बोलने के लिए जाना जाता है। लड़कियों की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण में उनका योगदान बहुत बड़ा था। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल डॉक्टर शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया एवं अल बयान के संपादक डॉक्टर सलाम ने कहा कि 28 नवंबर1890 को ज्योतिबा फुले की मृत्यु हो गई। उन्होंने छुआछूत और जाति व्यवस्था को खत्म करने के साथ-साथ महिलाओं को मुक्ति दिलाने के लिए कड़ी मेहनत की। फुले को महिलाओं और निचली जातियों के लोगों को शिक्षित करने में उनके काम के लिए जाना जाता है।ज्योतिबा फुले ने 1847 में स्कूल पूरा किया। उन्होंने 1840 में सावित्री बाई से शादी की। जब महिला शिक्षा की बात आई तो दोनों भारत में अग्रणी थे। ज्योतिबा फुले ने अपनी पत्नी को शिक्षित किया और उन्हें लड़कियों को पढ़ाने की सलाह दी।उनके प्रोत्साहन से ही सावित्री बाई देश की पहली महिला शिक्षिका बनीं। अगस्त 1848 में,उन्होंने भारत में लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया उसके बाद महार और मांग दलित वर्गों के बच्चों के लिए स्कूलों की स्थापना की। 1873 में,फुले और उनके अनुयायियों ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की – सत्य के साधकों का समाज – गरीबों और निचली जातियों के लोगों के लिए समान अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रयास किया।