आत्मनिर्भर होकर परिवार का भरण पोषण करती थरुहट की महिलाएं

पत्रकार अमित गिरि की रिपोर्ट

मैनाटांड। महिलाएं भी आत्मनिर्भर होकर घर गृहस्थी में योगदान देने मे किसी से कम नहीं है। ऐसा ही देखने को मिला मैनाटांड प्रखंड क्षेत्र के थरूहट क्षेत्र शिशवा में जहाँ पर महिलाएं बीड़ी बनाकर घर परिवार मेंअपनी अहम योगदान देकर परिवार का जिवन यापन कर रही है। आज के समय में बढ़ती बेरोजगारी के बीच लोग ज्यादा प्रभावित है। अब लोग इससे निपटने को लेकर कई तरह के रोजगार करने लगे हैं। मैनटांड प्रखंड के थरूहट क्षेत्र की महिलाएं बीड़ी बनाने के रोजगार से जुड़कर अपने परिवार के भरण-पोषण में सहयोग करने लगी हैं। ज्ञात हो कि प्रखंड के अधिकांश लोगों की जीविका प्रदेशों में मजदूरी पर टिकी है। यहां रोजगार के सीमित विकल्प के कारण अधिकांश लोग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में मजदूरी करने जाते हैं। विभिन्न प्रदेशों में मजदूरी करने वाले दर्जनों ऐसे लोग हैं जो घर आने के बाद अब लौटकर प्रदेश नहीं जाना चाहते हैं। ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझ रहे इन गरीब परिवार की महिलाएं बीड़ी बनाने के रोजगार से जुड़कर अपनी गृहस्थी की गाड़ी चला रही हैं। बीड़ी बनाने के काम से जुडी़ सफाली दासी ने बताया कि रोजगार की कमी और बढ़ती महंगाई के कारण खाना-पीना एवं बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्च पूरा नहीं हो पाता है। ऐसे में हमलोग बीड़ी बनाने के कार्य से जुड़कर अपनी गृहस्थी चलाने में सहयोग कर रहे हैं। महिला ने बताया कि बीड़ी बनाने पर 100 से 150 रुपये मिलता है। इस पैसे से घर चलाने में मदद मिलती है।

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