इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ दिनांक 07 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से होगी।

  • संपादक:- म0 मंजर आलमबेतिया/बगहा। चौतरवा अंशु ज्योतिष परामर्श केन्द्र के निदेशक आचार्य पंडित आशुतोष तिवारी “अंशु” ने बताया कि इस वर्ष मां भगवती जगत जननी जगदम्बा का आगमन डोली से हो रहा है। शास्त्रों में कहा गया है। “रवौ चन्द्रे गजारूढा शनौ भौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिताः।।” अर्थात यदि नवरात्रि का आरंभ गुरुवार को हो तो देवी का आगमन डोली से होता है। उनके आगमन का फल भी होता है। इस संबंध में देवी भागवत में वर्णित है “गजे च जलदा देवी क्षत्र भंगस्तुरंगमे।
    नौकायां सर्वसिद्धि स्या दोलायां मरणंधुवम्।।
    अर्थात डोली से आगमन होने पर मरण की आशंका होती है। हृषिकेश पञ्चाङ्ग के अनुसार इस वर्ष 06 अक्टूबर बुधवार को सायं 05:09 से आश्विन शुक्ल प्रतिपदा का आरंभ हो रहा है। अर्थात 07 अक्टूबर को प्रतिपदा में सूर्योदय हो रहा है एवं दिन 03:26 तक प्रतिपदा का मान रहेगा। अतः 07 अक्टूबर गुरुवार को शारदीय नवरात्रि का आरंभ होगा। एवं इसी दिन घट स्थापना होगी। घट स्थापना का विशेष मुहूर्त अभिजीत काल होता है जो दिन 11:16 से 12:03 तक रहेगा। चौघड़िया के हिसाब से प्रातः 05:47 से 07:15 तक शुभ चौघड़िया में भी कलश स्थापना की जाएगी।
    इस वर्ष शारदीय नवरात्रि षष्ठी तिथि का क्षय होने के कारण 8 दिनों की है। 12 अक्टूबर को महासप्तमी का व्रत किया जाएगा एवं पूजा पांडालों में मां दुर्गा के मूर्तियों का पट खोला जाएगा। वहीं महा अष्टमी का व्रत एवं महानिशा पूजा दिनांक 13 अक्टूबर बुधवार को होगी। 14 अक्टूबर गुरुवार को कन्या पूजन एवं हवन का कार्य सम्पन्न होगा तथा 15 अक्टूबर शुक्रवार को विजयादशमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इसी दिन दुर्गा विसर्जन जयंती ग्रहण एवं नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जाएगा।
    आचार्य अंशु जी ने बताया कि शास्त्रों में देवी के विदाई के समय वाहन का भी उल्लेख मिलता है, ” शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
    शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
    बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
    सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥ अर्थात इस वचन के अनुसार यदि शुक्रवार या बुधवार को विजया दशमी हो तो भगवती हाथी से जाती हैं। एवं इसका फल अच्छी वर्षा होती है। जनता को सुख मिलता है। इस प्रकार नवरात्रि में मां दुर्गा के नव रूपों की पूजा होती है। एवं दशमी को विदाई हो जाती है। मां भगवती की कृपा आप सभी को मिले।

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